साइन इन
x

आयकर विभाग कभी भी र्इ-मेल के माध्यम से आपके क्रेटिड कार्ड, बैंक अथवा अन्य वित्तीय खातों के पिन नंबर, पासवर्ड अथवा समकक्ष प्रकार की प्रयोग की जा सकने वाली सूचना की मांग नही करता है।

आयकर विभाग की करदताओं से अपील है कि ऐसे-र्इ-मेल का उत्तर न दें तथा अपने क्रेटिड कार्ड, बैंक तथा अन्य वित्तीय खातों से संबंधित जानकारी को किसी से सांझा करें।

आगे >
Click to ASK
Click to ASK

​​​​

आयकर महानिदेशालय (खुफिया और आपराधिक जांच)

​​
हमारे बारे में​
  1. 1. पृष्ठभूमि
    1. कर डाटा बेस को मजबूत बनाने के लिए, आयकर विभाग ने 1975 में, केंद्रीय सूचना शाखा (सीआर्इबी) का गठन किया। प्रारंभ में, सीआर्इबी डीजीआर्इटी (जांच) की देखरेख में संचालित था। बाद में जून 2007 में इसे आयकर निदेशालय (इंटेलीजेंस) के तहत लाया गया।
    2. जैसे-जैसे विश्व बहुत तेजी से बदलता गया और भारत विदेशी अर्थव्यवस्थाओं के साथ तेजी से एकीकृत होता गया, लोगों की आवाजाही के लिए प्रतिबंध और अधिक उदार होते गए। पूंजी का प्रवाह देश के भीतर और बाहर हो रहा था, और कर चोरी के नए मामले उभर कर आने लगे। हालांकि, दुनिया भर से वित्तीय संस्थानों, कर आकाश और अनुशासनहीन देशों पर वित्तीय संस्थाओं द्वारा सूचना के आदान-प्रदान और अधिक पारदर्शिता से संबंधित नए नियमों के अनुरूप करने के लिए ज्यादा दबाव पड़ने लगा। इस बदलते परिदृश्य के प्रत्युत्तर में, अगस्त 2011 में, आयकर महानिदेशक के तहत, आयकर निदेशालय (खुफिया एवं आपराधिक जांच) के नाम से एक नया निदेशालय स्थापित किया गया जिसमें पूर्ववर्ती खुफिया सेट-अप और सीआर्इबी सेट-अप शामिल था।
    3. इस निदेशालय के तहत 18 क्षेत्र संरचनाएं हैं जिसमें अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नर्इ, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबर्इ और नागपुर स्थित 09 डीआर्इटी (खुफिया एवं आपराधिक जांच) और बंगलौर, भुवनेश्वर, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोच्चि, कानपुर, पुणे, और पटना स्थित 09 डीआर्इटी (खुफिया) शामिल हैं। इनके अलावा नर्इ दिल्ली स्थित डीआर्इटी (प्रशासन) भी सीधे आयकर महानिदेशक के तहत कार्य करता है।
कार्य के मुख्य क्षेत्र:
डीसीआर्इ, कर डेटा-बेस को मजबूत बनाने के लिए आयकर विभाग की एक नोडल एजेंसी है। इसके मुख्य कार्य क्षेत्र निम्न हैं: (i) रूद्ध दाखिलकर्ताओं और गैर-दाखिलकर्ताओं की पहचान के द्वारा कर आधार को विस्तृत करना (ii) संवीक्षा निर्धारण के लिए मामलों के उचित चयन हेतु जानकारी उपलब्ध कराने के द्वारा कर आधार को गहरा करना (iii) आंतरिक व बाह्य स्रोतों से जनकारी का संग्रह व मिलान करना और उसे निर्धारण अधिकारियों (एओ) और आयकर विभाग के अन्य उपयोगकर्ताओं को प्रसारित करना। यह कुछ निर्दिष्ट गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों का विवरण जैसे निवेश, व्यय, करों का भुगतान आदि जैसी वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी भी एकत्र करता है। अधिदेश में, किसी भी प्रत्यक्ष कर कानून के तहत, अपराध के रूप में दंडनीय कोर्इ भी वित्तीय निहितार्थ रखने वाले, आपराधिक मामलों से उत्पन्न कर चोरी के मामलों की पहचान और जांच किए जाने का प्रावधान है। ​​


​​​